क्या आप जानना चाहते है की स्टाम्प पेपर पर कैसे लिखें? तो आप बिल्कुल ठीक जगह पर आए है। आज हम विस्तार से स्टाम्प पेपर पर बात करेंगे और देखेंगे की स्टाम्प पेपर क्या होता है और स्टाम्प पेपर पर कैसे लिखते है।
इस आर्टिकल में आपको बताया जाएगा की स्टाम्प पेपर क्या है और स्टाम्प पेपर का इतिहास क्या है और स्टाम्प पेपर पर कैसे लिखें? अगर आप भी यह जानना चाहते है तो इस आर्टिकल को शुरू से अंत तक पूरा पढ़े।
इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आपके स्टाम्प पेपर से सम्बंधित सभी सवाल खत्म हो जाएंगे। और आप स्टाम्प पेपर के बारे में सम्पूर्ण रूप से समझ जाएंगे।
स्टाम्प पेपर का इतिहास क्या है?
मुद्रांकित पेपर (Stamped paper) का 16वीं शताब्दी की शुरुआत में स्पेन और नीदरलैंड में आविष्कार किया गया था। इसके बाद ब्रिटिश साम्राज्य ने इस स्टाम्प पेपर प्रणाली को अपनाया। इसे स्टाम्प अधिनियम 1765 के रूप में पेश किया और भारत सहित अपने सभी उपनिवेशों को स्टाम्प शुल्क के रूप में राजस्व सृजन के स्रोत के रूप में अधिनियम को लागू करने के लिए अनिवार्य किया गया।
इसके बाद में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1797 के अधिनियम VI को प्रख्यापित करके भारत के लिए स्टाम्प अधिनियम खरीदा और इसे चुनिंदा भौगोलिक स्थानों में लागू किया। बाद में यह सन 1860 तक पूरे भारत में फैल गया।
इसके बाद इसमें कुछ संशोधन किया गया और फिर भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899 बन गया। भारत में पहला डाक टिकट 1854 में चार मूल्यों के साथ बिक्री पर रखा गया था। वे हैं, आधा आना, 1 आना, 2 आना और 4 आना। आधार दर का मूल्य आधा आना था।
स्टाम्प पेपर क्या होता है?
स्टाम्प पेपर कागज का एक A4 (foolscap) टुकड़ा होता है जो एक राजस्व टिकट के साथ पूर्व-मुद्रित होता है जो मुद्रा नोटों या डाक टिकटों में मुद्रित होता है। ये स्टाम्प पेपर आमतौर पर सरकार द्वारा जारी किए जाते हैं और आमतौर पर 10 रुपये, 20 रुपये, 50 रुपये, 100 रुपये, 500 रुपये आदि मूल्य के होते हैं।
अगर आसान शब्दों में कहाँ जाए तो स्टाम्प पेपर सरकारी पेपर होते है जिन पर सरकार द्वारा विशिष्ट मूल्य के राजस्व को प्रिंट किया जाता है और यह राजस्व द्वारा ही जारी किया जाता है। स्टाम्प पेपर दिखने में नोट जैसा ही होता है लेकिन यह नोट से आकर में बड़ा होता है।
भारतीय नोट का आकर छोटा होता है जबकि स्टाम्प पेपर A4 आकर का होता है। स्टाम्प पेपर की सुरक्षा के लिए इसमें सुरक्षा धागा भी होता है। प्रत्येक स्टाम्प पेपर का एक निश्चित “मौद्रिक मूल्य” होता है। प्रत्येक व्यक्ति के लिए जिसने कोई भी संपत्ति खरीदी या बेचीं हो इसकी पूरी प्रक्रिया को स्टाम्प पेपर पर दर्ज किया जाता है।
न्यायिक स्टाम्प पेपर क्या है?
आमतौर पर न्यायिक स्टाम्प पेपर मुख्य रूप से कानूनी और अदालती कामो के लिए उपयोग किए जाते हैं। ज्यादातर मामलों में इसे कोर्ट फीस के भुगतान के बिना स्वीकार नहीं किया जाता है। नकद लेनदेन से बचने के लिए न्यायिक स्टाम्प पेपर के माध्यम से न्यायालय शुल्क का भुगतान किया जाता है।
न्यायालय शुल्क अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, 1870 न्यायिक स्टाम्प पेपर अदालतों और कुछ सार्वजनिक कार्यालयों में उपयोग किए जाते हैं। अदालती मामलों में पार्टियों को अदालत द्वारा किए गए दिन-प्रतिदिन के खर्चों को पूरा करने के लिए विभिन्न याचिकाएं, मुकदमे और हलफनामे दाखिल करने पड़ते हैं, इन फाइलिंग पर शुल्क लगाता है।
गैर न्यायिक स्टाम्प पेपर क्या है?
पार्टियों के बीच सभी गैर न्यायिक लेन-देन की व्यवस्था गैर न्यायिक स्टाम्प पेपर में की जाती है। उदाहरण के लिए, सभी प्रकार के संपत्ति हस्तांतरण समझौते, पट्टा समझौते (lease agreements), शपथ पत्र (affidavits) एक्सटेंशन। इसमें प्रत्येक लेन-देन में एक विशिष्ट राशि की स्टाम्प ड्यूटी होगी जो राज्य सरकार द्वारा तय की जाती है।
प्रत्येक राज्य में एक अलग स्टाम्प शुल्क संरचना होती है जो राज्यों के राजस्व के मुख्य स्रोतों में से एक है। स्टाम्प शुल्क लगाने का मुख्य उद्देश्य केंद्र और राज्य दोनों सरकारों के लिए राजस्व उत्पन्न करना है।
स्टाम्प पेपर पर कैसे लिखें?
स्टाम्प पेपर पर लिखने से पहले आपको यह जानना जरुरी है की आपको किस प्रकार के दस्तावेज बनाने है जैसे किराया समझौता, शपथ पत्र, पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी या कोई ज्ञापन (memorandum) बनाना है। सभी प्रकार के स्टाम्प पेपर पर लिखने का तरीका फर्क होता है।
उदाहरण के लिए: अगर आप शपथ पत्र (affidavit) बनाते है तो सबसे पहले आपको उस पर अपना नाम, पता, जन्मतिथि, व्यवसाय आदि लिखना है। इसके बाद आपको शपथ पत्र पर अपनी बात (matter) लिखना है। यह सब आपके पहले पेज पर आएगा। अगर आपका matter बड़ा है तो वह आपको अगले पेज पर लिखना है। इसी पेज के पीछे नहीं लिखना है।
अगर आप बिक्रीनामा (sale deed) बना रहे है तो बिक्रीनामा में सबसे पहले आपको बेचनेवाले के बारे में लिखना है जैसे उसका नाम, पता, जन्मतिथि, व्यवसाय आदि। इसके बाद आपको खरीदने वाले की जानकारी लिखनी है जैसे खरीदने वाले का नाम, पता, जन्मतिथि, व्यवसाय आदि।
इसके बाद पूरा matter लिखा जाता है और कोई भी टर्म एंड कंडीशन है तो वह भी लिखी जाती है। इसके बाद फर्स्ट पार्टी और सेकंड पार्टी और उसके नीचे फर्स्ट पार्टी विटनेस और सेकंड पार्टी विटनेस की जानकारी लिखी जाती है।
इस तरह से स्टाम्प पेपर पर लिखा जाता है और पूरा अग्रीमेंट तैयार किया जाता है। इसके बाद इसका प्रिंट निकाला जाता है और फर्स्ट पार्टी और सेकंड पार्टी के हस्ताक्षर लिए जाते है।
स्टाम्प पेपर कहां मिलता है?
सरकार एक निश्चित समय के लिए कुछ खास वेंडर को स्टाम्प पेपर बेचने का काम देती है। इन्ही वेंडर से स्टाम्प पेपर मिलता है और आपको केवल इन्ही वेंडर से ही स्टाम्प पेपर खरीदना चाहिए। यह वेंडर सरकार द्वारा अधिकृत होते है।
FAQs
स्टाम्प पेपर कितने प्रकार के होते है?
स्टाम्प पेपर 2 प्रकार के होते है न्यायिक स्टाम्प पेपर और गैर- न्यायिक स्टाम्प पेपर।
स्टाम्प पेपर कहाँ से खरीदना चाहिए?
स्टाम्प पेपर सरकार द्वारा अधिकृत वेंडर से ही खरीदना चाहिए।
स्टाम्प पेपर का इस्तेमाल कहाँ होता है?
राज्य सरकार द्वारा राजस्व विभाग के जरिये जो स्टाम्प पेपर जारी किये जाते है उनका इस्तेमाल कनूनी दस्तावेजों में किया जाता है जैसे शपथ पत्र, घोषणा पत्र, लेनदेन दस्तावेजों आदि।
पुराने स्टाम्प बेचने पर क्या होता है?
पुराने स्टाम्प पेपर को खरीदना या बेचना दोनों ही कानूनी अपराध है। ऐसे कार्यकालाप में पाए जाने वाले को 10 साल या आजीवन कारावास हो सकता है।
नकली स्टाम्प बनाने पर क्या दंड मिलता है?
नकली स्टाम्प पेपर बनाना क़ानूनी जुर्म है और अगर कोई नकली स्टाम्प बनाते या बेचते पकड़ा गया तो उसे आई. पी. सी. की धारा 255 के मामले में आजीवन कारावास या जुर्माना + 10 साल की सजा हो सकती है।
पी. सी. की धारा 255 के मामले में आजीवन कारावास या जुर्माना + 10 साल की सजा हो सकती है।
मुझे उम्मीद है की इस आर्टिकल ने आपकी स्टाम्प पेपर को समझने में मदद करि होगी। और अब आप समझ गए होंगे की स्टाम्प पेपर क्या होता है? और स्टाम्प पेपर पर कैसे लिखें? अगर अब भी आपके मन में स्टाम्प पेपर को लेकर कोई भी सवाल हो तो कमेंट सेक्शन आपके लिए खुला है। आप बेझिझक हमसे सवाल पूछ सकते है।