HTTP Full Form क्या होती है? HTTP क्या होता है?

इंटरनेट पर सर्फिंग करते समय अक्सर आपने देखा होगा की कुछ वेबसाइट तो http से शुरू होती है और कुछ वेबसाइट https से शुरू होती है। क्या आपने कभी सोचा है की ऐसा क्यों होता है या http और https में क्या difference होता है? या http की full form क्या होती है?

अगर आपने भी ऐसा सोचा है तो आज आपको इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद इसका जवाब मिल जाएगा। और अगर आपने कभी ऐसी चीज़ो पर ध्यान नहीं दिया है तो भी आपको इस आर्टिकल को पढ़ने की जरुरत है क्योकि इसका संबंध ठीक आपसे और आपकी cyber security से है।

तो इस आर्टिकल में मैं आपको सबसे पहले http full form बताऊंगा। फिर बताऊंगा की एचटीटीपी क्या होता है? एचटीटीपी कैसे काम करता है? इसके साथ इसके कुछ फायदे नुक्सान और इसका इतिहास भी बताऊंगा।

HTTP Full Form क्या होती है?

HTTP का Full Form होता है “Hyper Text Transfer Protocol” यह एक एप्लीकेशन लेयर प्रोटोकॉल है। यह वेबपेज और यूजर के बीच कम्यूनिकेट करने का एक साधन है। जो आपको एक webpage से दूसरे webpage पर भेजता है। एचटीटीपी इंटरनेट में डाटा ट्रांसफर करने में सहायता करता है।

HTTP क्या होता है?

HTTP एक एप्लिकेशन लेयर प्रोटोकॉल है जिसे इंटरनेट प्रोटोकॉल सूट के ढांचे के भीतर डिज़ाइन किया गया है। एचटीटीपी वर्ल्ड वाइड वेब के लिए डाटा कम्युनिकेशन की नीव है। यह क्लाइंट और सर्वर के बीच में data transfer करता है।

एचटीटीपी के बिना आप इंटरनेट पर किसी भी वेबसाइट को विजिट नहीं कर सकते है। एचटीटीपी को क्लाइंट और सर्वर के बीच communication को बेहतर और सक्षम बनाने के लिए मध्यवर्ती नेटवर्क को अनुमति देने के लिए बनाया गया है।

HTTP कैसे काम करता है?

HTTP का full form “Hyper Text Transfer Protocol” होता है यह तो आप जानते ही है। अब बात करते है की एचटीटीपी काम कैसे करता है। HTTP का काम hyper text को एक protocol के तहत transfer करना होता है। इसको समझने के लिए हम इसके नाम को तीन हिस्सों में बाँट देते है।

  1. Hyper Text – सबसे पहले बात करते है की यह हाइपर टेक्स्ट क्या होता है। दरअसल हाइपर टेक्स्ट एक ऐसा प्लेन टेक्स्ट होता है जो किसी और वेबपेज से लिंक होता है। और जब आप उस hyper text पर क्लिक करते है तो आप एक वेबपेज से दूसरे वेबपेज पर चले जाते है।
  2. Transfer – इसके बाद एचटीटीपी किसी भी वेबपेज या डाटा को आपके ब्राउज़र पर ट्रांसफर करता है।
  3. Protocol – प्रोटोकॉल एक नियम समूह है जिसके तहत एचटीटीपी काम करता है। मतलब एचटीटीपी के काम करने के कुछ अपने नियम होते है तो यह प्रोटोकॉल होता है।

अब बात करते है की एचटीटीपी काम कैसे करता है। जब आप अपने ब्राउज़र में कोई वेबसाइट का नाम डालकर सर्च करते है तो सबसे पहले ब्राउज़र से रिक्वेस्ट dns सर्वर के पास जाती है क्योकि आपका कंप्यूटर किसी url या वेबसाइट के नाम को तो पढ़ नहीं सकता है।

DNS Full Form क्या होती है? DNS क्या होता है?

उसके बाद dns अपने डेटाबेस में से उस वेबपेज की आईपी सर्च करता है और फिर ब्राउज़र को भेजता है। इसके बाद आपका ब्राउज़र उस वेब सर्वर के पास रिक्वेस्ट भेजता है। इसके बाद सर्वर से डाटा आपके ब्राउज़र में आता है text, image या video के रूप में, तो यह सब एचटीटीपी से ही संभव हो पाता है।

HTTP और HTTPS में क्या अंतर है?

HTTP का full form Hyper Text Transfer Protocol होता है। और HTTPS का full form Hypertext Transfer Protocol Secure होता है। एचटीटीपी असुरक्षित कनेक्शन होता है। जबकि एचटीटीपीएस एक सुरक्षित कनेक्शन होता है।

एचटीटीपी और एचटीटीपीएस में केवल S का ही अंतर है। लेकिन ये ही s इन दोनों में बहुत बड़ा फर्क लेकर आता है। HTTP को HTTPS करने के लिए वेबसाइट में एक ssl certificate लगता है। जिससे वेबसाइट सिक्योर हो जाती है। लेकिन कुछ वेबसाइट के मालिक थोड़े पैसे बचाने के लिए ssl certificate नहीं लगाते है। और वह अपने यूजर्स कि सुरक्षा के साथ समझौता कर लेते है।

आप हमारी वेबसाइट Hindi Tech Review को देख सकते है। यह पूरी तरह से सुरक्षित है।

http full form

HTTP

एचटीटीपी के बारे में मैं आपको पहले ही बता चुका हूँ। कि यह डाटा को server से यूजर के पास ट्रांसफर करता है लेकिन एचटीटीपी में एक बहुत बड़ी कमी इसकी सिक्योरिटी को लेकर है।

एचटीटीपी में जो डाटा सर्वर से ब्राउज़र में या ब्राउज़र से सर्वर के पास जाता है वह plain text में होता है जिसे हैकर बीच में से चुरा सकता है। इसका मतलब की अगर आप एचटीटीपी की वेबसाइट में login करते है और वहां आईडी और पासवर्ड डालते है तो हैकर इसे आपके ब्राउज़र और सर्वर के बीच में जाते समय आसानी से चुरा सकता है।

http full form

HTTPS

एचटीटीपीएस में ऐसा नहीं है। एचटीटीपीएस एक सिक्योर कनेक्शन बनाता है। इसमें होता क्या है जब आप अपने ब्राउज़र से सर्वर के पास रिक्वेस्ट भेजते है तो जो सर्वर से डाटा आपके ब्राउज़र में आता है वह पूरी तरह से encrypt हो कर आता है।

इसी तरह जब आपके ब्राउज़र से डाटा सर्वर के पास जाता है तो वह भी पूरी तरह से encrypt हो जाता है। encryption में डाटा पूरी तरह से बिगड़ जाता है जिसे इंसान पढ़ नहीं सकते है। इसे केवल machine ही पढ़ सकती है। आप निचे इमेज में देख सकते है।

http full form

तो अगर हैकर आपके डाटा को देख भी ले तो भी उसे decrypt करना लगभग नामुनकिन होता है। अगर आपको नहीं पता है कि एन्क्रिप्शन क्या होता है और कैसे काम करता है। तो आप हमारी पिछली पोस्ट को पढ़ सकते है।

जरूरी सूचना

इंटरनेट पर किसी भी अज्ञान वेबसाइट पर शॉपिंग करते है या अपने क्रेडिड या डेबिट कार्ड की डिटेल डालने से पहले देख ले। की वह वेबसाइट https ही हो। http की वेबसाइट पर कभी भी अपनी बैंक की कोई detail न डाले। ऐसा करना आपके लिए हानिकारक हो सकता है।

HTTP के फायदे क्या है?

एचटीटीपी का यूजर के लिए तो कोई फायदा नहीं है बस नुकसान ही है लेकिन हाँ वेबसाइट के मालिकों को इससे फायदा होता है। एक तो वह ssl certificate अपनी वेबसाइट पर ना लगा कर वह इससे अपने पैसे बचाते है क्योकि ssl certificate थोड़ा महंगा होता है। एक साल के लिए यह 4 से 5 हजार रुपए या इससे भी ज्यादा पैसे देने पड़ते है।

दूसरा http वेबसाइट कि स्पीड https वेबसाइट से थोड़ी ज्यादा होती है जिससे उनकी वेबसाइट कि रैंकिंग पर फर्क पड़ता है।

HTTP के नुक्सान क्या है?

एचटीटीपी का सबसे बड़ा नुकसान cyber security को लेकर है। क्योकि जब आप अपने ब्राउज़र से किसी भी वेबसाइट को विजिट करते है तो सर्वर से आपके ब्राउज़र तक डाटा छोटे छोटे पैकेट के रूप में आता है जो की plain text में होते है और इन्हे बीच में कोई भी पढ़ सकता है। ऐसे में हैकर के लिए बीच में से इनफार्मेशन को चुराना बहुत ही आसान हो जाता है।

अगर आप किसी वेबसाइट पर कोई न्यूज़ आर्टिकल पढ़ रहे है तो आपको डरने की जरुरत नहीं है। अगर hacker वह देख भी ले तो भी क्या कर लेगा। लेकिन अगर आप किसी वेबसाइट पर अपनी कुछ निजी जानकारी डालते है या इंटरनेट बैंकिंग करते है। तो ऐसा करना आपको महँगा पड़ सकता है।

दूसरी बात इसमें आपको प्राइवेसी नहीं मिलती है। एन्क्रिप्शन ना होने की वजह से आपके ISP (Internet Service Provider) को भी पता होता है की आप उस वेबसाइट पर क्या कर रहे हो।

HTTP की History क्या है?

सन 1989 में Tim Berners-Lee ने एचटीटीपी को डेवलप करना शुरू किया था। एचटीटीपी में हाइपरटेक्स्ट शब्द Ted Nelson द्वारा 1965 में Xanadu प्रोजेक्ट में गढ़ा गया था। Tim Berners-Lee और CERN में उनकी टीम को एचटीटीपी के मूल अविष्कार करने के साथ साथ html और web server के लिए तकनीकी संबंध बनाने और टेक्स्ट बेस्ड वेब ब्राउज़र का भी श्रेय दिया जाता है।

टीम बर्नर्स-ली ने पहली बार 1989 में “WorldWideWeb” प्रोजेक्ट का प्रस्ताव रखा था  जिसे अब World Wide Web के रूप में जाना जाता है। एचटीटीपी का पहला वर्जन HTTP V0.9 था। जो सन 1991 में जारी किया गया था। पहले वर्जन की प्रोटोकॉल में केवल एक ही तरीका था।

इसके बाद सन 1995 में Dave Raggett ने HTTP Working Group का नेतत्व किया। वह प्रोटोकॉल का विस्तार करना चाहता था। इसके बाद HTTP WG ने दिसंबर 1995 में नए मानकों को प्रकाशित करने की योजना बनाई। और तत्कालीन विकासशील RFC 2068 के आधार पर पूर्व-मानक HTTP / 1.1 के समर्थन को 1996 के प्रारंभ में प्रमुख ब्राउज़र डेवलपर्स द्वारा तेजी से अपनाया गया।

मार्च 1996 में एक वेब होस्टिंग कंपनी ने बताया कि इंटरनेट पर उपयोग में आने वाले 40% से अधिक ब्राउज़र HTTP 1.1 अनुरूप थे। उसी वेब होस्टिंग कंपनी ने बताया कि जून 1996 तक, उनके सर्वर तक पहुंचने वाले सभी ब्राउज़रों में से 65% HTTP थे।

मुझे उम्मीद है की आप http full form और http क्या है कैसे काम करता है और इसके फायदे नुक्सान समझ गए होंगे। अगर फिर भी आपका कोई सवाल हो तो आप हमे निचे कमेंट कर सकते है।

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Authored By Prabhat Sharma
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