DNS Full Form क्या होती है? DNS क्या होता है?

क्या आपको पता है की DNS क्या होता है? DNS Full Form क्या होती है या DNS काम कैसे करता है? आज आप इस आर्टिकल को शुरू से अंत तक पढ़ते रहे। इस आर्टिकल में मैं आपको DNS के बारे में विस्तार से जानकारी दूंगा।

DNS Full Form क्या होती है?

DNS की Full Form होती है “Domain Name System” इसे Domain Name Server भी कहते है। DNS का काम domain name (वेबसाइट का नाम) को आईपी एड्रेस में बदलने का होता है। जब आप ब्राउज़र में किसी वेबसाइट के नाम को सर्च करते है तो dns उसे ip address में बदल देता है।

DNS क्या होता है?

इंटरनेट पर करोड़ो वेबसाइट है और हर वेबसाइट का अपना अलग आईपी अड्रेस होता है। अब आप इंटरनेट पर सभी वेबसाइट के आईपी अड्रेस को याद तो कर नहीं सकते है। यह तो नामुमकिन है इसीलिए dns को काम में लिया जाता है जहाँ पर आपको आईपी अड्रेस याद करने की जरुरत नहीं है बस आपको उस वेबसाइट का नाम याद रखना है। और आप वेबसाइट के domain name से उस website को खोल सकते है।

उदहारण के लिए आप कोई बिजनेस करते है और आपके 1000 क्लाइंट है अब संपर्क करने के लिए आप उन सबके फ़ोन नंबर तो याद नहीं कर सकते है तो ऐसे में आप अपने फ़ोन में सब client के नंबर उनके नाम से सेव कर लेते है जिससे जब कभी भी आपको किसी client से सम्पर्क करना हो तो आप अपने phonebook में उस क्लाइंट के नाम से उसका फ़ोन नंबर सर्च करे और फिर बिना परेशानी के आसानी से उन्हें फ़ोन कर सके ।

ठीक इसी सोच के साथ dns server को बनाया गया है की जब इंटरनेट यूजर को कोई वेबसाइट को खोलना हो तो उसे ब्राउज़र में लम्बी चौड़ी आईपी अड्रेस न डालना पड़े। वह बस वेबसाइट का नाम डाले उसके बाद ब्राउज़र डीएनएस से उसका ip address ले कर उस वेबसाइट को खोल दे।

DNS कैसे काम करता है?

आज से कई साल पहले जब हम landline phone इस्तेमाल करते थे। उस समय हम सब के घर में मोटी मोटी फ़ोन डायरेक्टरी हुआ करती थी। उस फ़ोन डायरेक्टरी में हम सब के नाम और फ़ोन नंबर को लिख कर रखते थे और जब हमे किसी को फ़ोन करना होता था तो हम phone directory में से नंबर देखकर उसे फ़ोन करते थे।

अब दोस्तों आज तो आपके पास एक स्मार्टफोन है जिसमें आप नंबर को सेव कर सकते है। इस वजह से आपको किसी भी नंबर को कही किसी diary में लिखने की जरुरत नहीं है। आज आप किसी भी नंबर को किसी भी नाम से अपने फ़ोन में save कर सकते है उसके बाद आपको बस उस नाम को अपने फ़ोन में सर्च करना है और dial पर क्लिक करना है उसके बाद आपका फ़ोन समझ जाएगा की किसे फ़ोन करना है।

लेकिन आज से कई साल पहले landline phone में तो कोई डिस्प्ले नहीं होती थी और न ही कोई स्टोरेज होती थी तो तब आपको उन नंबर को किसी डायरी में लिखना पड़ता था।

ठीक इसी तरह इंटरनेट पर DNS काम करता है। जब आप अपने ब्राउज़र में यूट्यूब टाइप करते है तो आपके ब्राउज़र में तो आपने एक साइट का नाम डाला है तो बिना IP Address के उसे कैसे पता चलेगा की आप कौनसी वेबसाइट खोलना चाहते है।

इसके लिए ही डीएनएस काम में लिया जाता है जहाँ पर वेबसाइट के आईपी एड्रेस को वेबसइट के नाम से Domain Name System में सेव कर लिया जाता है उसके बाद जब कोई उस website को search करता है तो ब्राउज़र समझ जाता है की कौनसी website को खोलना है।

इससे इंटरनेट यूजर का बहुत फायदा होता है क्योकि उसे किसी भी वेबसाइट को खोलने के लिए उसके ip address को लिखने की जरुरत नहीं है।

आइये इसे और अच्छे से समझते है।

जब आप अपने ब्राउज़र जैसे गूगल में सर्च करते है www.hinditechreview.com तो आपका ब्राउज़र अंग्रेजी भाषा तो समझ नहीं सकता है तो ब्राउज़र dns server के पास रिक्वेस्ट भेजता है की इस domain name का आईपी एड्रेस मुझे दो फिर dns server अपनी लिस्ट में सर्च करता है की इस domain name की आईपी क्या है जैसे ही उसे आईपी मिलती है वह ब्राउज़र के पास वह आईपी भेजता है। अब इस पूरी प्रक्रिया को जिसमे ब्राउज़र dns server को रिक्वेस्ट भेज रहा है और dns server उस आईपी को ब्राउज़र के पास फॉरवर्ड कर रहा है इसे dns lookup कहते है।

इसके बाद ब्राउज़र के पास hinditechreview वेबसाइट का आईपी एड्रेस आ गया। अब ब्राउज़र इस आईपी के द्वारा server पर रिक्वेस्ट भेजेगा और सर्वर respond करेगा और आपके ब्राउज़र को डाटा सेंड करेगा। जिससे आप hinditechreview वेबसाइट को खोल पाएंगे।

यह सुनने में थोड़ा मुश्किल और लम्बी प्रक्रिया लगती है लेकिन यह 1 second में होता है और कभी कभी तो 1 second से भी पहले यह काम हो जाता है।

जब आप अपने ब्राउज़र में किसी एक वेबसाइट को खोलते है तो आपका ब्राउज़र उस वेबसाइट की आईपी को अपने cache में कुछ समय के लिए सेव कर लेता है जिससे जब अगली बार आप उस वेबसाइट को दोबारा खोलते हो तो आपका ब्राउज़र दोबारा dns server पर request नहीं भेजता है बल्कि अपने cache में जिसमें उसने उस वेबसाइट का IP सेव किया था वहां से उसे उठा लेता है।

इससे होता क्या है कि जब आप उस वेबसाइट को दोबारा खोलते है तो दूसरी बार में वह वेबसाइट पहले के मुकाबले थोड़ा fast खुल जाती है।

तो मुझे उम्मीद है की आप DNS की Full Form और डीएनएस के काम करने का तरीका समझ गए होंगे। अगर फिर भी आपका कोई सवाल हो तो आप हमे निचे कमेंट करके पूछ सकते है।

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Authored By Prabhat Sharma
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